पशु और पक्षियों की जिंदगी से हमें बहुत सारी चीजों की प्रेरणा मिलती है। इसलिए कई साहित्यकारों ने इन पर कहानियां या कविताएं लिखी हैं । इसलिए आज हम आप के लिए लाए हैं – “Poem on birds and animals in Hindi”
Poem on birds and animals in Hindi
जानवरों का मेला
शोर मचा अलबेला है,
जानवरों का मेला है!
वन का बाघ दहाड़ता,
हाथी खड़ा चिंघाड़ता।
गधा जोर से रेंकता,
कूकूर ‘भों-भों’ भौंकता।
बड़े मजे की बेला है,
जानवरों का मेला है।
गैा बँधी रँभाती है,
बकरी तो मिमियाती है।
घोड़ा हिनहिनाए कैसा,
डोंय-डोंय डुंडके भैंसा।
बढ़िया रेलम-रेला है,
जानवरों का मेला है!
सभामोहन अवधिया ‘स्वर्ण सहोदर’
अगर कहीं मैं घोड़ा होता
अगर कहीं मैं घोड़ा होता, वह भी लंबा-चौड़ा होता।
तुम्हें पीठ पर बैठा करके, बहुत तेज मैं दोड़ा होता।।
पलक झपकते ही ले जाता, दूर पहाड़ों की वादी में।
बातें करता हुआ हवा से, बियाबान में, आबादी में।।
किसी झोंपड़े के आगे रुक, तुम्हें छाछ औ’ दूध पिलाता।
तरह-तरह के भोले-भाले इनसानों से तुम्हें मिलाता।।
उनके संग जंगलों में जाकर मीठे-मीठे फल खाते।
रंग-बिरंगी चिड़ियों से अपनी अच्छी पहचान बनाते।।
झाड़ी में दुबके तुमको प्यारे-प्यारे खरगोश दिखाता।
और उछलते हुए मेमनों के संग तुमको खेल खिलाता।।
रात ढमाढम ढोल, झमाझम झाँझ, नाच-गाने में कटती।
हरे-भरे जंगल में तुम्हें दिखाता, कैसे मस्ती बँटती।।
सुबह नदी में नहा, दिखाता तुमको कैसे सूरज उगता।
कैसे तीतर दौड़ लगाता, कैसे पिंडुक दाना चुगता।।
बगुले कैसे ध्यान लगाते, मछली शांत डोलती कैसे।
और टिटहरी आसमान में, चक्कर काट बोलती कैसे।।
कैसे आते हिरन झुंड के झुंड नदी में पानी पीते।
कैसे छोड़ निशान पैर के जाते हैं जंगल में चीते।।
हम भी वहाँ निशान छोड़कर अपना, फिर वापस आ जाते।
शायद कभी खोजते उसको और बहुत-से बच्चे आते।।
तब मैं अपने पैर पटक, हिन-हिन करता, तुम भी खुश होते।
‘कितनी नकली दुनिया यह अपनी’ तुम सोते में भी कहते।।
लेकिन अपने मुँह में नहीं लगाम डालने देता तुमको।
प्यार उमड़ने पर वैसे छू लेने देता अपनी दुम को।।
नहीं दुलत्ती तुम्हें झाड़ता, क्योंकि उसे खाकर तुम रोते।
लेकिन सच तो यह है बच्चो, तब तुम ही मेरी दुम होते।।
Best Poem on birds and animals in Hindi-ज़ानवर हूँ
ज़ानवर हूँ
इन्सान ना समझ़,
विश्वास क़र ।
तेरें घर की,
रख़वाली करूगा,
आख़िर तक़ ।
तेरें घर की,
सुरक्षित रख़ूगा,
बहु – बेटिया ।
तेरें घर क़ा,
मान नही टूटेंगा,
मेरें रहते ।
विश्वास क़र,
ज़ानवर ही हूँ मैं,
इन्सान नही ।
कहीं खो जाती मैं जंगल में–Poem on birds and animals in Hindi
अगर कहीं खो जाती मैं जंगल में
डरावनी आवाज संग होता मेरा बसेरा
रात में घने अन्धकार में
तो मैं डर जाती
फिर आते हाथी दादा
संग लाते भालू और बंदर मामा
पहले मैं थोड़ा घबराती
फिर उनको पास बुलाती
हो जाती मेरी उनसे यारी
फिर आती जो वनराज की बारी
करवाते वो भी जंगल की सवारी
जो समझती मैं उनकी बोली
और वह समझ जाते मेरी भाषा
फिर होती हम सब की एक परिभाषा
प्यार से होती हम सब की मस्ती
कभी बना लेती मैं घड़ियाल की भी कश्ती
गजराज घुमाते झरने पर
और चीते संग मैं रेस लगाती
तरह तरह की मैं आवाजें निकालती
अगर मैं जंगल में खो जाती
Jaya Kushwaha
Poem on birds and animals in Hindi-हाथी का जूता
एक़ ब़ार हाथी दादा ऩे
खूब़ मचाया ह़ल्ला,
चलो तुम्हे मेला दिख़ला दू-
ख़िलवा दू रसगुल्ला।
प़हले मेरे लिए़ क़ही से
लाओ ऩया लब़ादा,
अधिक़ नही, ब़स एक़ तब़ू ही
मुझे सज़ेगा ज्यादा!
तब़ू एक़ ओढ़क़र दादा
मन ही मन मुसक़ाए,
फिर जूते वाली दुक़ान पर
झट़पट दौड़े आए।
दुक़ानदार ने घब़रा क़रके
पैरो क़ो जब़ नापा,
जूता नही मिलेगा श्रीमान-
क़ह क़रके वह कॉपा।
खोज़ लिया हर जग़ह, ऩही जब़
मिले क़ही पर जूते,
दादा ब़ोले-छोड़ो मेला
नही हमारे बूते!
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ये पंछी एक डाल के
ये पंछी एक डाल के
जीव अलग रंग चाल के
कुछ सफेद है कुछ काले
रंग बिरंगे मतवाले
पीते है मिलकर पानी
एक झील और ताल के
बिल्ली, कव्वे और बंदर
शेर, गिलहरी, छछूंदर
कोयल के भी दे देता
कव्वा बच्चे पाल के
मस्ती में जब उड़ते है
कितने प्यारे लगते है
खाए ना उनको कोई
रहते संभल संभाल के
पिंजरे में ये रोते है
छुप छुप आंसू बोते हैं
कैद नहीं करना इनको
ये हैं जीव कमाल के
इनकी भी माँ होती हैं
बिछुड़ गई तो रोती है
पिल्ला भी तो रोता है
खुश मत होना पाल के
मैं पंछी आज़ाद-Poem on birds and animals in Hindi
ज़ब-जब मुझ़े लगता हैं
कि घट रहीं हैं आकाश की ऊचाई
और अब कुछ ही पलो मे मुझें पीसते हुए
चक्की के दो पाटो मे
तब्दील हो जायेगे धरती-आसमां
तब-तब बेहद सुकुन देते है पंछी
आकाश मे दूर-दूर तक उडते ढ़ेर सारे पंछी
बादलो को चोच मारते
अपनी क़ोमल लेकिन धारदार पखो से
हवा मे दरारे पैंदा करते ढ़ेर सारे पंछी
ढेर सारे पंछी
धरती और आकाश के बींच
चक्क़र मारते हुवे
हमे अहसास दिला ज़ाते है
आसमां के अनन्त विस्तार
और अक़ूत ऊचाई का!
पंछी का यहीं आस विश्वास
चिड़िया-Poem on birds and animals in Hindi
कलरव करती सारी चिड़िया,
लगती कितनी प्यारी चिड़िया
दाना चुगती, नीड बनाती,
श्रम से कभी न हारी चिड़िया
भूरी, लाल, हरी, मटमैली,
श्रंग-रंग की न्यारी चिड़िया
छोटे-छोटे पर है लेकिन,
मीलो उड़े हमारी चिड़िया
नाचता मोर | Poem On Birds in Hindi
नाचता मोर सबको सुहाता,
नाच नाच के अपने पंख फैलाता,
विशेषताएँ तो इसकी अनेक,
आवाज़ करके यह शोर मचाता,
उड़ उड़ कर नाच दीखता,
अपने पंखो से सबका मन भेलाता,
भारत का राष्ट्रीय पक्षी कहलाता,
कभी कभी है यह हवा में भी उड जाता|
पंक्षियों से शिक्षा-Best Poem on birds and animals in Hindi
जुबाँ पे शब्द नही,
पर दिलों में अहसास तो होता है।
पंक्षियों का कोई घर नही,
पूरा आसमाँ तो होता है।
तिनका-तिनका चुनकर घोंसला बनाते है।
अक्सर पेडों पर अपना आशियाना सजाते है।
तेज हवाएँ उड़ा ले जाती है उनका घोंसला,
पर नही ले जा सकती उनके मन का हौंसला।
फिर से चुनते है, फिर से बुनते हैं,
अपने बच्चों को जीवन देते है।
क्यों नही सीखते हम उनसे ये सब,
आपस में हम लड़ते रहते हैं।
मेरा मेरा करके न जाने क्यों जलते रहते है।
हमसे अच्छे तो ये पक्षी है।
निःशब्द रहकर बहुत कुछ कहते हैं।
जीवन तो इनका जीवन है,
हम तो बस यूँ ही जीकर मरतें रहते हैं।
मासूम जानवर-Poem on birds and animals in Hindi
समझ लिया करो उनका भी दर्द
जो दरवाज़े पर नम आंखों से आते हैं
पेट में भूख का दर्द लिएं
जब मासूम जानवर आस लिए आते हैं
ताज़ी अच्छी रोटी नहीं
वो बासी भी खा लेते हैं
बिना कुछ बोले ही वो मासूम
अपना दर्द बता देते हैं
बोल नहीं पाते कुछ बेजुबान वो
दिल से उनकी तकलीफ़ समझ लिया करो
छिनने नहीं आते कुछ वो तुमसे
बस प्यार से हाथ फेर दिया करो
गली से निकलते हैं जब वो
तो पत्थर मत मारा करो
बेजुबान मासूम जानवर है वो
उनको भी प्यार भरी नजरों से देख लिया करो
तो प्यारे दोस्तों ये थी कुछ Poem on birds and animals in Hindi – अपने आशा करता हूँ आप ने इन्हें पढकर आनंद लिया होगा.इस post पर आप के विचार या आप का कोई भी सुझाव हो आप हमें comment कर के पता सकते हैं और अपने दोस्तों के साथ इन कविताओं को share भी कर सकते हो.