आज की post में हम पढेंगे “What are Millets?” और Types of Millets in Hindi.
Millet अनाज का हि एक प्रकार है जिसके दाने बहुत छोटे होते हैं । इनकी खेती हजारों वर्षों से मुख्य फसलों के रूप में की जाती रही है। ये विविध पर्यावरणीय परिस्थितियों में उग सकते हैं और इनमे पोषक तत्व काफी मात्रा में पाए जाते हैं। Millets को प्राचीन अनाज माना जाता है और इनका कृषि में महत्वपूर्ण स्थान है।
Millets कई प्रकार के होते हैं, प्रत्येक की अपनी अनूठी विशेषताएं और उपयोग होते हैं। Millets के कुछ सबसे सामान्य प्रकारों में शामिल हैं:
Basic Types of Millets in Hindi
ज्वार (Sorghum): ज्वार एक व्यापक रूप से खेती किया जाने वाला मिलेट है जिसका उपयोग मानव भोज़न और पशु आहार दोनों के लिए किया जाता है। यह फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
बाजरा (Pearl Millet): बाजरा आमतौर पर भारत और अफ्रीका में उगाया जाता है। यह ऊर्जा, प्रोटीन और आयरन और मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का एक अच्छा स्रोत है।
रागी (Finger Millet): रागी में कैल्शियम की मात्रा बहुत अधिक होती है और इसका उपयोग अक्सर दलिया, रोटी और अन्य पारंपरिक व्यंजन बनाने में किया जाता है।
फॉक्सटेल मिलेट: फॉक्सटेल मिलेट फाइबर से भरपूर होता है और इसका उपयोग अक्सर डोसा, इडली और अन्य दक्षिण भारतीय व्यंजन बनाने में किया जाता है।
कोदो मिलेट: कोदो मिलेट किसी भी मिट्टी में उगने की क्षमता के लिए जाना जाता है और अक्सर पारंपरिक व्यंजनों में उपयोग किया जाता है।
प्रोसो मिलेट: प्रोसो मिलेट का सेवन अनाज के रूप में किया जाता है और इसका उपयोग पक्षियों के चारे में भी किया जाता है। इसको उगने का में कम समय लगता है।

Historical Significance of Millets in Indian (भारत में मिलेट का ऐतिहासिक महत्व)
भारतीय संस्कृति में millets का ऐतिहासिक महत्व हजारों साल पुराना है और यह देश की कृषि और भोजन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। Millets भारतीय आहार और कृषि पद्धतियों का एक अभिन्न अंग रहा है और इनकी खेती विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक विरासत के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। भारत में Millets के ऐतिहासिक महत्व के कुछ प्रमुख points इस प्रकार हैं:
प्राचीन फसल: Millets भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे पुरानी खेती वाली फसलों में से एक मानी जाती है। पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि भारतीय क्षेत्र में Millets की खेती नवपाषाण काल, लगभग 7000-5000 ईसा पूर्व में की जाती थी।
पारंपरिक आहार: Millets एक समय पूरे भारत में कई वर्गों का एक मुख्य भोजन था। यह मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में ज्यादा बोया जाता था जहां चावल और गेहूं विषम जलवायु और खराब मिट्टी के कारण पैदा नहीं हो सकते थे।
सांस्कृतिक महत्व: Millets विभिन्न भारतीय अनुष्ठानों, त्योहारों और धार्मिक प्रथाओं में सांस्कृतिक महत्व रखता है। कई समुदायों में, विशिष्ट अवसरों या त्योहारों के दौरान विशेष व्यंजनों में मिलेट का उपयोग किया जाता था।
पारंपरिक खेती के तरीके: बाजरा की खेती अक्सर पारंपरिक और टिकाऊ खेती के तरीकों का उपयोग करके की जाती थी। ये मिश्रित फसल और फसल चक्र के लिए एक अनिवार्य घटक थे, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मदद मिलती है।
पोषण मूल्य: Millets को लंबे समय से उनकी पोषण तत्वों के लिए जाना जाता है। वे आहार फाइबर, प्रोटीन, आयरन और मैग्नीशियम जैसे आवश्यक खनिज और बी-विटामिन से समृद्ध हैं, जो उन्हें संतुलित आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं।
आजीविका: Millets की खेती ने कई किसानों के लिए आजीविका के अवसर प्रदान किए हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है।
हालाँकि, हरित क्रांति और उच्च उपज वाले चावल और गेहूं की किस्मों को बढ़ावा देने के साथ, Millets की खेती और खपत में गिरावट आई है। लेकिन हाल ही में, मिलेट के पोषण संबंधी लाभों, जलवायु लचीलेपन और पर्यावरणीय स्थिरता के कारण मिलेट में फिर से लोगो को रूचि बढ़ी है।
Types of Millets in Hindi (मिल्लेट्स के प्रकार)
millets को कई प्रकार से बांटा जा सकता है तो आईये अब जानते है कि millets को कितने प्रकार से classify कर सकते हैं ।
बीजों के आकार के आधार पर( Types of Millets in Hindi–On the basis of size of Grain)
सबसे पहले हम Millets को grain के साइज़ यानि बीज के आकार के आधार पर बाँट सकते है । Millets बीजों को बीजों के आकार के आधार पर दो प्रकार के होते है ।
मौटे दाने वाला अनाज (Major millets)
छोटे दाने वाला अनाज (Minor millets)
मोटे दाने वाले अनाज (Major millets in Hindi)
मोटे दाने वाले मिलेट में उन फसलों के बीजों को रखा गया है जिन फसलों के बीज आकार में बड़ा होता है । इस श्रेणी में आने वाली फसले निम्न प्रकार से हैं-
बाजरा
रागी
ज्वार
चना
मूंग
मक्का
छोटे दाने वाले अनाज (Minor millets in Hindi)
इस group में उन मिलेट को रखा गया है जिन के बीज का आकार नार्मल grain के आकार से छोटा होता है । इस श्रेणी में आते हैं-
कोदो
झंगोरा
कंगनी
हरी कंगनी
कुटकी
बीजों की संरचना के आधार पर (Basic on Structure of seeds)
Millets को हम उनके बीजों की संरचना के आदार पर भी बाँट सकते हैं। संरचना के आधार पर हि हमें पता चलता है की इन millets का सेवन कैसे करना है । तो जानते हैं संरचना के अनुसार मिलेट कितने प्रकार के होते हैं ।
नग्न बीज (Naked grain millets in Hindi)
जिन मिलेट के ऊपर की परत को हटाकर उनका सेवन किया जाता है उन्हें हम नग्न बीज वाले मिलेट कहते है । इस श्रेणी में आने वाली फसले हैं-
बाजरा
ज्वार
चेना
रागी
मूंग
मक्का।
चोकर यूक्त बीज (Husked grain millets in Hindi)
जिन millets के बीजों के ऊपर चोकर यानि Bran की परत होती उन्हें भोजन के रूप में सेवन करने के लिए इन पर लगी चोकर की परत को हटाना पडता हैं। इस प्रकार के millets को चोकर यूक्त अनाज यानि Husked grain कहते हैं। इस श्रेणी में आने वाली फसले हैं-
कंगनी
कुटकी
कोदाएं
सानवा
चावल
पोषक तत्वों के आधार पर मिलेट्स के प्रकार( Types of Millets in Hindi– On the basis of Nutrients value)
Millets की सबसे important बात ये है की इनमें पोषक तत्व काफी मात्रा मे पाए जाते है । पोषक तत्वों के आधार पर millets का वर्गीकरण इनमे कार्बोहाईडेट फाइबर के अनुपात के आधार पर किया जाता है ।
कार्बोहाईडेट और फाइबर का अनुपात ग्लाइसेमिक इंडेक्स के रूप में माना जाता है । जिन millets मे कार्बोहाईडेट फाइबर अनुपात 10% से कम हो वो सेहत के लिए काफी बढ़िया माना जाता है और पोषक तत्वों के आधार पर हम इन्हें तीन श्रेणियों में रख सकते है ।
नेगेटिव मिलेट(Negative millets)
न्यूट्रल मिलेट(Neutral millets)
पॉजिटिव मिलेट (Positive millets)
- नेगेटिव मिलेट(Negative millets)
इस group में उन millets को रखा गया है जिनमे कार्बोहाइड्रेट और फाइबर का अनुपात काफी ज्यादा होता है और लम्बे समय से इनका सेवन करने से मनुष्य में कई प्रकार के गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। भारत में मुख्य रूप से लोग गेंहू और चावल खाते जो नेगेटिव मिलेट हैं ।
गेंहू का GI 65 के करीब और चावल का GI 395 के करीब है ।
- न्यूट्रल मिलेट(Neutral millets)
इस समूह मे उन millets को रखा गया है जिनके सेवन से शरीर में न कोई बीमारी होती है और न ही ये किसी बीमारी को ठीक कर सकते हैं । ये शरीर को स्वस्थ रखते हैं । ये मिलेट ग्लूटेन मुक्त होते हैं जैसे- बाजरा, ज्वार, रागी ।
GI of neutral millets
बाजरा (Pearl millet )GI > 55.91
रागी (Finger millet) GI > 20.19
बर्री / चेना (Proso millet) GI > 31.31
ज्वार ( Great millet) GI > 55.69
मक्का (Cone maze) GI >24.51
- पॉजिटिव मिलेट (Positive millets)
इन millets मे कार्बोहाईडेट फाइबर अनुपात 10% से कम होता है और ये सेहत के लिए काफी बढ़िया माने जाते हैं । इनका सेवन करने से बीमार व्यक्ति ठीक हो सकता है। इनके सेवन से शरीर में जिन पोषक तत्वों की कमी होती है वो recover हो जाते हैं। इसलिए इनको खाना हमारे लिए अत्यंत लाभकारी है इसलिए इन्हें पॉजिटिव मिलेट कहा जाता है ।
GI of positive millets
कंगनी (foxtail millets) GI < 7.57
झंगोरा / सान्वा ( Barnyard millet) GI < 6.55
कोदाएं ( Kodo millet) GI < 7.28
कुटकी (Little millet) GI < 6. 68
हरी कंगनी (Brown top millet) GI < 5.54

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Health Benefits of Consuming Millets( millets के फायदे)
neutral और positive millets खाने के बहुत सारे पायदे हैं जो निम्नलिखित हैं।
पोषक तत्वों से भरपूर: millets आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, आहार फाइबर, विटामिन (नियासिन, थायमिन और राइबोफ्लेविन जैसे बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन), खनिज (आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस और जस्ता), और एंटीऑक्सिडेंट शामिल हैं। ये पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
ग्लूटेन-मुक्त: millets प्राकृतिक रूप से ग्लूटेन-मुक्त होता है, तो जिन्हें अपने आहार में ग्लूटेन से परहेज करने की आवश्यकता है उन के लिए ये परफेक्ट हैं।
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स: अधिकांश millets का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिसका अर्थ है कि वे धीरे-धीरे पचते और अवशोषित होते हैं, जिससे रक्त शर्करा के स्तर में धीरे-धीरे वृद्धि होती है। यह गुण millets को मधुमेह रोग वाले व्यक्तियों के लिए -उपयुक्त बनाता है।
हृदय स्वास्थ्य: millets हृदय के लिए भी काफी अच्छे होते है। इनमें एक प्रकार का soluble फाइबर होता है, जो LDL कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है।
पाचन स्वास्थ्य: millets में मौजूद फाइबर अच्छे पाचन के लिए उपयोगी है और कब्ज को रोकने में सहायता करता है। ये आंत को भी स्वस्थ रखते हैं ।
Weight control: millets में पोषक तत्वों और फाइबर का अच्छा संतुलन होता है, जो कैलोरी की मात्रा को कम करके weight control करने में सहायक है।
एंटीऑक्सीडेंट गुण: बाजरा में विभिन्न एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जैसे पॉलीफेनॉल और फ्लेवोनोइड, जो शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव से निपटने और पुरानी बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करते हैं।

Final points
इस ब्लॉग पोस्ट में हमने मिलेट्स क्या है और Types of Millets in Hindi मेंजानने का प्रयास किया है। मिलेट्स, जिन्हें हम प्राचीन अनाजों के रूप में जानते हैं, पोषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। यह एक स्वास्थ्यपूर्ण और पौष्टिक खाद्य पदार्थ है, जो विभिन्न बीमारियों से लड़ने और स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखने में मदद करता है।
इस ब्लॉग पोस्ट में हमने बाजरा, रागी, कंगनी, ज्वार, सामै, कोद्रा, और सांवा जैसे प्रमुख मिलेट्स के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की है। हर मिलेट की अलग-अलग विशेषताएं हैं और उनमें अद्भुत पोषक गुण होते हैं, जो आपके स्वास्थ्य को बनाये रखने में मदद करते हैं।
मिलेट्स के लाभ न केवल स्वास्थ्य के लिए हैं, बल्कि ये पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों की आपूर्ति के साथ-साथ पैदावार की दृष्टी से भी किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इनकी खेती से संसाधनों का उचित उपयोग होता है और इससे पर्यावरण को भी बचाने में मदद मिलती है।
यदि आप स्वस्थ और स्वादिष्ट खाने के प्रेमी हैं, तो मिलेट्स को अपने आहार में शामिल करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इन्हें ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर और स्नैक्स में उपयोग करके आप Variety और स्वास्थ्य को एक साथ आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
चलिए, हम सभी इन millets – पौष्टिक अनाजों के साथ स्वस्थ और समृद्ध जीवनशैली का आनंद उठाएं।
धन्यवाद!
FAQ
Q1. ब्राउन टॉप मिलेट को हिंदी में क्या कहते हैं?
Ans. इसे भारत के अधिकांश भागों में छोटी कंगनी के नाम से जानते है ।
Q2. बाजरे की सबसे बढ़िया किस्म कौन सी है?
Ans. बी. 67-2 बाजरे की सबसे अच्छी किस्म है, इसे तैयार होने में लगभग 2 महीने का समय लगता है ।
Q3. कुटकी मिलेट क्या होता है?
Ans. इसे अंग्रेजी में “Little Millet” कहा जाता है। यह उष्णकटिबंधीय जलवायु में उगता है।यह मुख्य रूप से दक्षिण भारत में पाया जाता है ।