50 interesting facts about Mahabharata in Hindi

50 interesting facts about Mahabharata in Hindi-महाभारत, भारतीय साहित्य की वह एक ऐतिहासिक गाथा है जिसे विश्व का सबसे बड़ा ग्रन्थ माना जाता है।

महाभारत की गाथा भारतीयों के साथ साथ विदेशी पाठकों के बीच भी एक जिज्ञासा का विषय  है। इस ग्रंथ में भारतीय सभ्यता, नैतिकता, धर्म, राजनीति, परिवार के महत्व, युद्ध, दायित्व, प्रेम, और अन्य ऐसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार किया जाता है।इसलिए आज का विषय है facts about Mahabharata in Hindi.

50 interesting facts about Mahabharata in Hindi

महाभारत भारत के दो प्रमुख प्राचीन संस्कृत महाकाव्यों में से एक है, दूसरा महाकाव्य रामायण है।

महाभारत की रचना ऋषि व्यास द्वारा की गई थी लेकिन इसका लेखन भगवान श्रीगणेश ने किया था। और इसकी रचना 3100 ईसा पूर्व से 1200 ईसा पूर्व के बीच हुई थी।

वेदव्यास जी को महाभारत की रचना कारने मे 3 वर्ष लग गये थे, इसका कारण यह हो सकता है कि उस समय लेखन लिपि कला का इतना विकास नही हुआ था, उस काल में ऋषियों द्वारा वैदिक ग्रन्थों को पीढ़ी दर पीढ़ी परम्परागत मौखिक रूप से याद किया जाता था।

गणेश जी महाभारत लिखने को तैयार हो गये, किंतु उन्होंने यह शर्त रखी कि कलम एक बार उठा लेने के बाद काव्य समाप्त होने तक वे बीच में नहीं रुकेंगे। व्यासजी  जानते थे की गणेश जी काफी तेज़ है इसलिए व्यासजी ने भी एक शर्त रखी कि कोई भी श्लोक लिखने से पहले गणेश जी को उसका अर्थ समझना होगा। इस प्रकार  व्यास जी बीच-बीच में कुछ कठिन श्लोकों को बोल देते थे, जब  तक गणेश जी उनके अर्थ पर विचार कर रहे होते उतने समय में ही व्यास जी कुछ और नये श्लोक सोच लेते थे।

महाभारत संस्कृत में लिखा गया है और इसमें लगभग 1.8 मिलियन शब्द हैं, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य बनाता है।

महाभारत की कहानी हस्तिनापुर के राज्य के नियंत्रण के लिए चचेरे भाइयों, कौरवों और पांडवों के दो समूहों के बीच संघर्ष की कहानी को दर्शाती है।

महाभारत के मुख्य पात्रों में कृष्ण, अर्जुन, युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव, द्रौपदी, दुर्योधन और भीष्म शामिल हैं।

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भगवद गीता, एक पवित्र हिंदू ग्रंथ, महाभारत का एक हिस्सा है। यह भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच की बातचीत है, जहां भगवान कृष्ण अर्जुन को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर उसका मार्गदर्शन करते हैं।

महाभारत में 18 पर्व शामिल हैं, जिन्हें आगे अध्यायों में विभाजित किया गया है।

महाभारत के पहले पर्व  को आदिपर्व कहा जाता है, जो महाकाव्य के मुख्य पात्रों का परिचय देता  है और इस महाकाव्य की पृष्टभूमि का वर्णन करता है।

महाभारत का सबसे प्रसिद्ध भाग  कुरुक्षेत्र युद्ध है, जिसका वर्णन भीष्म पर्व, द्रोण पर्व और कर्ण पर्व में विस्तार से किया गया है।

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कुरुक्षेत्र युद्ध 18 दिनों तक चला और इसके परिणामस्वरूप भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण और कई अन्य सहित कई प्रमुख पात्रों की मृत्यु हुई।

महाभारत का युद्ध हरियाणा में स्थित कुरुक्षेत्र के आसपास हुआ माना जाता है। महाभारत प्राचीन भारत में वैदिक काल के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था। इस युद्ध में लाखों क्षत्रिय योद्धा मारे गये जिसके परिणामस्वरूप वैदिक संस्कृति तथा सभ्यता का पतन हो गया था।

कृष्ण का चरित्र हिंदू धर्म में एक देवता के रूप में पूजनीय है और उन्हें भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है।

कहते हैं श्री कृष्ण की 16100 रानियां व 8 पटरानियां थी। ये सभी 8 पटरानियां उनकी विवाहित पत्नियां थी। इनका नाम रुक्मणि, जाम्बवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रवृंदा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा था।

कृष्ण ने महाभारत में अर्जुन के  सलाहकार और सारथी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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महाभारत अपने पात्रों और उनके कार्यों के माध्यम से मुश्किल समय का इंसान को कैसे सामना करना चाहिए ये बताता  है।

पांडव पांडु के पुत्र थे, जबकि कौरव धृतराष्ट्र के पुत्र थे। पांडु और धृतराष्ट्र दोनों भाई थे और राजा विचित्रवीर्य के पुत्र थे।

द्रौपदी, पांडवों की पत्नी, महाभारत में एक मुख्य महिला पात्र है। वह अपनी सुंदरता, बुद्धिमत्ता और साहस के लिए जानी जाती हैं।

चौसर या पासा खेल, जहाँ युधिष्ठिर ने अपना राज्य और द्रौपदी को एक शर्त में खो दिया, महाभारत की एक महत्वपूर्ण घटना है।

पांडवों ने चौसर का खेल हारने के बाद तेरह साल का वनवास और एक अतिरिक्त वर्ष अज्ञात वास में बिताया।

पांडवों का विदुर नाम का एक वफादार साथी और सलाहकार था, जो धृतराष्ट्र और पांडु के सौतेले भाई भी थे।

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विदुर यमराज के अवतार थे। ये धर्म शास्त्र और अर्थशास्त्र के महान ज्ञाता थे। ऋषि मंदव्य के श्राप की वजह से उन्हें मनुष्य योनी में जन्म लेना पड़ा था।

कौरवों के आलावा धृतराष्ट्र का युयुत्सु नाम का एक और पुत्र था। जब गांधारी गर्भवती थी उस समय वह धृतराष्ट्र की सेवा करने से असमर्थ थी, इसीलिए उन दिनों वैश्य नाम की दासी धृतराष्ट्र की सेवा करती थी। युयुत्सु, वैश्य और धृतराष्ट्र का पुत्र था। युयुस्तु बहुत यशस्वी और विचारशील था।

धृतराष्ट्र अपने पिछले जन्म मे एक बहुत ही दुष्ट राजा था। एक दिन उसने एक नदी मे एक हंस जो अपने बच्चों के साथ आराम से विचरण कर रहा था देखा। वो हंस को इतना खुश न देख सका उसने आदेश दिया की उस हंस की आँख फोड़ दी जाए और उसके बच्चों को मार दिया जाये। इसी वजह से अगले जन्म मे वह अंधा पैदा हुआ और उसके पुत्र भी उसी तरह मृत्यु को प्राप्त हुये जैसे उस हंस के।

अर्जुन अपने समय का सबसे महान धनुर्धर माना जाता था ।

अर्जुन का प्रसिद्ध हथियार गांडीव धनुष था, जो उन्हें अग्नि देव ने दिया था।

भीष्म का चरित्र, जिसे भीष्म पितामह के नाम से भी जाना जाता है, महाभारत में सबसे सम्मानित योद्धाओं में से एक था। उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था।

भीष्म ने अपने राज्य के प्रति वफादारी और सिंहासन की सेवा करने के अपने वादे के कारण, पांडवों के प्रति उनके गहरे स्नेह के बावजूद, कौरवों की तरफ से लड़ाई लड़ी।

कुंती के ज्येष्ठ पुत्र कर्ण ने महाभारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह अपनी अटूट निष्ठा, वीरता और धनुर्विद्या में निपुणता के लिए जाने जाते है।

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कुंती ने अपने बचपन में ऋषि दुर्वासा की सेवा की थी। वे कुंती की सेवा से प्रसन्न हुए और उसे एक चमत्कारी मंत्र बताया, इस मंत्र के माध्यम से कुंती किसी भी भगवान से बच्चा मांग सकती थी। इसलिए, विवाह के पहले कुंती ने सूर्य देव से शिशु की मांग की और कर्ण का जन्म हुआ।

महाभारत में निम्न जाति के प्रतिभाशाली धनुर्धर एकलव्य के चरित्र पर भी प्रकाश डाला गया है। उन्होंने स्वेच्छा से अपना अंगूठा द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा (शिक्षक की फीस) के रूप में दिया, द्रोणाचार्य ने उनकी जाति के कारण उन्हें पढ़ाने से इनकार कर दिया था।

अर्जुन-पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदने के लिए उसमें घुस गया। चक्रव्यूह में प्रवेश करने के बाद अभिमन्यु ने कुशलतापूर्वक चक्रव्यूह के 6 चरण भेद लिए। इस दौरान अभिमन्यु द्वारा दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण का वध किया गया। अपने पुत्र को मृत देख दुर्योधन के क्रोध की कोई सीमा न रही। तब कौरवों ने युद्ध के सारे नियम ताक में रख दिए।छह चरण पार करने के बाद अभिमन्यु जैसे ही 7वें और आखिरी चरण पर पहुंचे, तो उसे दुर्योधन, जयद्रथ आदि 7 महारथियों ने घेर लिया। अभिमन्यु फिर भी साहसपूर्वक उनसे लड़ते रहे। अंत मे अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए।

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Interesting facts about Mahabharata in Hindi

महाभारत जटिल पारिवारिक रिश्तों और संघर्षों की कहानी  है। उदाहरण के लिए, धृतराष्ट्र और गांधारी के बीच संबंध, जिसने अपने पति की विकलांगता को साझा करने के लिए खुद को आंखों पर पट्टी बांध लिया।

भीम के पुत्र घटोत्कच और राक्षसी हिडिम्बी की कहानी महाभारत की एक आकर्षक उपकथा है। उनके पास अपार शक्ति थी और उन्होंने कुरुक्षेत्र युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

महाकाव्य धर्म, और कर्तव्य के बारे मे बताता  है। पात्रों को अक्सर नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है और उन्हें अपनी समझ के आधार पर चुनाव करना पड़ता है कि क्या सही और न्यायपूर्ण है।

महाकाव्य  कृष्ण जैसे पात्रों के माध्यम से वफादारी, दोस्ती और बलिदान के महत्व पर प्रकाश डालता है, जो पांडवों के पक्ष में खड़े हैं, और हनुमान, जो विभिन्न उदाहरणों में भीम की सहायता करते हैं।

व्याघ गीता, अष्टावक्र गीता, पराशर गीता आदि जैसी 10 अन्य गीताएं भी हैं। हालांकि श्री भगवद् गीता, भगवान कृष्ण द्वारा दी गई जानकारी वाली शुद्ध और पूर्ण गीता है।

महाभारत इस जीवन और अगले जीवन में किसी के कार्यों के परिणामों पर जोर देती है। कर्म की अवधारणा पात्रों के भाग्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

क्या आप जानते हैं कि महाभारत के युद्ध में विदेशी भी शामिल थे। वास्तविक युद्ध सिर्फ पांडवों और कौरवों के बीच नहीं था बल्कि रोम और यमन की सेना भी इसका हिस्सा थी ।

दुर्योधन का असली नाम सुयोधन था जिसका अर्थ है ‘एक महान योद्धा’। लेकिन वह स्वयं दुर्योधन ही था जिसने अपना नाम सुयोधन से बदलकर दुर्योधन कर लिया, जिसका अर्थ होता है ‘एक ऐसा व्यक्ति जिसे कभी हराया नहीं जा सकता’।

महाभारत की कहानी को विभिन्न संस्कृतियों और समय अवधियों में साहित्य, कविता, नृत्य, संगीत, रंगमंच और दृश्य कला सहित विभिन्न कला रूपों के माध्यम से बताया गया है।

दुर्योधन और कर्ण को एक श्रेष्ठ मित्र के रूप में जाना जाता है, पर क्या आप जानते हैं कि कर्ण पांडवों के बड़े भाई थे। कर्ण मूल रूप से सूर्य पुत्र था, जिसके फलस्वरूप असल में वह क्षत्रीय वर्ण से नाता रखता था, परंतु कुंती द्वारा जन्म देते ही अलग कर दिए जाने पर वह सूतपुत्र कहलाया। कर्ण की मृत्यु पर यदि कोई सबसे ज्यादा दुखी था तो वह था स्वयं दुर्योधन। वह इतना हताश अपने भाइयों की मृत्यु पर भी नहीं हुआ था।

महाभारत केवल एक ऐतिहासिक वृत्तांत नहीं है बल्कि ज्ञान का भंडार है, जो व्यक्तियों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा पर मार्गदर्शन करता है

संक्षेप में, महाभारत केवल एक प्राचीन महाकाव्य नहीं है; यह ज्ञान का भंडार है, जो मानव स्वभाव, नैतिकता और जीवन की जटिलताओं में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

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