आज की post में हम Allama Iqbal Best Shayari लेकर आये हैं। महान शायर अल्लामा इकबाल का जन्म पंजाब, पाकिस्तान में 9 नवंबर 1877 को हुअा था। देहांत 21 अप्रैल 1938 में हुआ था। इकबाल की रचनाएं उम्मीदों के साथ जिंदगी में हमेशा नए रास्तों की ईजाद करती रहीं। इनकी शायरी में ज्यादातर लोगों को अपने किसी ना किसी रूप में अपना अक्श दिखाई देता है। उर्दू और फ़ारसी में इनकी शायरी को आधुनिक काल की सर्वश्रेष्ठ शायरी में गिना जाता है। ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ का जिक्र कीजिए या फिर लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी…हर तरफ इकबाल अपने शब्दों से लोगों को बांधते चलते हैं।
51 Allama Iqbal Best Shayari
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
Khudi ko kar buland itna ki har takdeer se pahle
Khuda bande se khud puche bta teri rja kya hai
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतज़ार देख
Maana ki teri deed ke kaabil nahi hun main
Tu meri shoak dekh mera intjaar dekh
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा
hazaron saal nargish apni be duri pe roti hai
Badi muskil se hota hai chaman mai dida var paida
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूं या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
Duniya ki mahphil se ukta gya hun ya rab
Kya luft anjuman ka jab dil hi bujh gya ho
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है
fhkat nigaah se hota hai faisla dil ka
N ho nigaah se shokhi to dilbari kya hai
Allama Iqbal Shayari in Hindi
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसितां हमारा
Saare jaha se accha hindosta humara
Hum bulbule hain is ki ye gulshitaan humara
ढूंढ़ता फिरता हूं मैं ‘इक़बाल’ अपने आप को
आप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूं मैं
dhundta phirta hun mai ikbaal apne aap ko
Aap hi goya mushaphir aap hi manjil hun main
मन की दौलत हाथ आती है तो फिर जाती नहीं
तन की दौलत छाँव है आता है धन जाता है धन
Mann ki dolat haath aati hai to phir jaati nahi
tan ki doalat chav hain aata hai dhan jaata hai dhan
नशा पिला के गिराना तो सब को आता है
मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी
Nasha pila ke girana to sab ko aata hai
maja to tab hain ki girte ko thaam le saaki
दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है
Dil se jo baat nikalti hai asar rakhti hai
par nahi taakat e parvaaj magar rakhti hai
Allama Iqbal Best Shayari
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
Sitaaron se aage jhan or bhi hain
abhi iskq se imtihaan or bhi hain
कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
Ki teri deed ke kaabil nahi hun main
tu mera shoak dekh mira intizar dekh
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा
hazaron saal nargish apni be nuri pe roti hai
badi mushkil se hota hai chaman mai deeda var paida
इल्म में भी सुरूर है लेकिन
ये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं
Ilam mai bhi shurur hai lekin
ye vo jannat hai jis mai hur nahi
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल
लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
Acha hai dil ke saath rahe pasbaan e akl
lekin kabhi kabhi ise tanha bhi chhod de
Allama Iqbal Best Shayari in Hindi
उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में
नज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में
Ukaabi ruh jab bedaar hoti hai jawaano mai
nazar aati hai un ko apni manjil aasmaano main
अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी
ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है
Amal se zindgi banti hai jannat bhi jhanum bhi
ye khaki apni phitrat mai n nuri n naari hain
BEST 50 KHWAJA GARIB NAWAZ QUOTES IN HINDI
तमन्ना दर्द-ए-दिल की हो तो कर ख़िदमत फ़क़ीरों की
नहीं मिलता ये गौहर बादशाहों के ख़ज़ीनों में
Tamana dard e dil ki ho to kar khidmat phakiron ki
nahi milta ye goahar baadshaaho ke khajino mai
बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम
सौ बार कर चुका है तू इम्तिहाँ हमारा
Baalit se dabne vaale e aasmaan nahi hum
soa baar kar chuka hai tu imtihaan humara
है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़
अहल-ए-नज़र समझते हैं उस को इमाम-ए-हिंद
Hai Ram ke vajud pe Hindostan ko naaz
ahal e nazar samazte hain us ko imaam e hind.
असर करे न करे सुन तो ले मिरी फ़रियाद
नहीं है दाद का तालिब ये बंदा-ए-आज़ाद
Asar kare n kare sun to le miri fhariyaad
nahi hai daad ka taalib ye banda e aazaad
अपनी मांग को इस तरह बुलंद बना
फिर खुदा तलाश में तुझे वो रोज़गार देगा
Apni maang ko is tarah buland bna
phir khuda talaash mai tuze vo rozgaar dega
रूह फना होगी बदन बिना गर्मी-ए-हयात
मौत से बेहतर है नाम ओ निस्यान का काम
Ruh fahna hogi badan garmi e hyaat
moat se behtar hai naam o niyaan ka kaam
Allama Iqbal Best Shayari
और भी कर देता है दर्द में इज़ाफ़ा
तेरे होते हुए गैरों का दिलासा देना
Aur bhi kar deta hai dard mai ijaafa
tere hote hue gairo ka dilaasa dena
हमने तन्हाई को अपना बना रक्खा
राख के ढ़ेर ने शोलो को दबा रक्खा है
Humne tanhae ko apna bna rakha
raakh ke dher ne sholo ko daba rakha hai
जफा जो इश्क में होती है वह जफा ही नहीं
सितम न हो तो मुहब्बत में कुछ मजा ही नहीं
jafa jo ishq mai hoti hai vah jafa hi nahi
sitam n ho to muhobat mai kuch maza hi nahi
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