Hanuman pachisa in Hindi

हिन्दू धर्म में हनुमान जी को खुश करने के लिए बहुत सी स्तुति हैं- जैसे हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान अष्टक, सुंदर काण्ड आदि ।

अधिकतर लोग हनुमान चालीसा का पाठ करके हनुमान जी को खुश करने की कोशिश करते है लेकिन आज हम आप को हनुमान जी के एक ऐसे पाठ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास 200 सालों से भी पुराना है।

आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे -Hanuman pachisa in Hindi (हनुमान पचासा)

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हनुमान पचासा की रचना – Hanuman pachasa ki rachana

लगभग 200 से 250 वर्ष पूर्व बुन्देलखण्ड के प्रसिद्ध कवि मान ने हनुमान पचासा की रचना की थी। मान द्वारा हनुमान पचासा की रचना के पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार है:

मध्य प्रदेश के चरखारी राज्य में राजा अमन सिंह के दरबार में दरबारी कवि मान, जो भगवान हनुमान के समर्पित अनुयायी थे, ककरी नामक पहाड़ी पर स्थित एक मंदिर में हनुमान जी की पूजा और अनुष्ठान किया करते थे। मान को दरबार में मिले अत्यधिक आदर और सम्मान के कारण उसके विरोधियों की संख्या बढ़ गई। इन विरोधियों में ओकारा नाम का एक और कवि था, जो अपनी उत्कृष्ट कविता के लिए जाना जाता था और अपने काम पर बहुत घमंड करता था।

यह निर्धारित करने के लिए कि मान और ओकारा में श्रेष्ठ कवि कौन है, उनके बीच एक प्रतियोगिता आयोजित की गई। यह निर्णय लिया गया कि दोनों कवि काकानी में हनुमान की मूर्ति के सामने अपनी-अपनी रचनाएँ पढ़ेंगे और यदि किसी कवि के पाठ के कारण मूर्ति में कोई परिवर्तन होता है, तो उस कवि को श्रेष्ठ माना जाएगा।

पहले दिन ओकरा ने हनुमान प्रतिमा के सामने अपनी कविता पढ़ी, लेकिन मूर्ति में  कोई बदलाव नहीं आया. दूसरे दिन, जैसे ही मान ने अपनी कविता पढ़ी, हनुमान की मूर्ति हिलने लगी और मूर्ति का सिर उस दिशा में झुक गया जहां मान बैठा था।

हनुमान की मूर्ति में हुए इस परिवर्तन ने मान को श्रेष्ठ कवि के रूप में स्वीकार किया गया , क्योंकि उनके गायन से यह परिवर्तन हुआ।

हनुमान पचासा क्या है?What is Hanuman pachisa in Hindi ?

खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए  मान ने हनुमान जी की मूर्ति के सामने जो रचना पढ़ी, उसे अब हनुमान पचासा के नाम से जाना जाता है। यदि  कोई व्यक्ति लगातार 50 दिनों तक हनुमान पचासा का पाठ करता है तो उसे भगवान हनुमान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

हनुमान पचासा के पाठ का महत्व

जो व्यक्ति लगातार 50 दिन तक हनुमान पचासा का पाठ करता है-उसे मन माना वरदान मिलता है ।

जो भी इंसान हनुमान पचासा का पाठ करता है-उसकी रक्षा स्वयं हनुमान जी करते हैं ।

हनुमान पचासा का पाठ करने वाले व्यक्ति को कभी शत्रु हरा नहीं सकता और घर मे सुख – शांति आती है ।

Hanuman pachisa in Hindi

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जय हनुमान दास रघुपति के।
कृपामहोदधि अथ शुभ गति के।।
आंजनेय अतुलित बलशाली।
महाकाय रविशिष्य सुचाली।।
शुद्ध रहे आचरण निरंतर।
रहे सर्वदा शुचि अभ्यंतर।।
बंधु स्नेह का ह्रास न होवे।
मर्यादा का नाश न होवे।।
बैरी का संत्रास न होवे।
व्यसनों का अभ्यास न होवे।।
मारूतनंदन शंकर अंशी।
बाल ब्रह्मचारी कपि वंशी।।
रामदूत रामेष्ट महाबल।
प्रबल प्रतापी होवे मंगल।।
उदधिक्रमण सिय शोक निवारक।
महावीर नृप ग्रह भयहारक।।
जय अशोक वन के विध्वंशक।
संकट मोचन दु:ख के भंजक।।
जय राक्षस दल के संहारक।
रावण सुत अक्षय के मारक।।
भूत पिशाच न उन्हें सताते।
महावीर की जय जो गाते।।
अशुभ स्वप्न शुभ करनेवाले।
अशकुन के फल हरनेवाले।।
अरिपुर अभय जलानेवाले।
लक्ष्मण प्राण बचानेवाले।
देह निरोग रहे बल आए।
आधि व्याधि मत कभी सताए।
पीडक श्वास समीर नहीं हो।
ज्वर से प्राण अधीर नहीं हो।।
तन या मन में शूल न होवे।
जठरानल प्रतिकूल न होवे।।
रामचंद्र की विजय पताका।
महामल्ल चिरयुव अति बांका।।
लाल लंगोटी वाले की जय।
भक्तों के रखवालों की जय।।
हे हठयोगी धीर मनस्वी।
रामभक्त निष्काम तपस्वी।।
पावन रहे वचन मन काया।
छले नहीं बहुरूपी माया।।
बनूं सदाशय प्रज्ञाशाली।
करो कुभावों से रखवाली।।
कामजयी हो कृपा तुम्हारी।
मां समभाषित हो पर नारी।।
कुमति कदापि निकट मत आए।
क्रोध नहीं प्रतिशोध बढाए।।
बल धन का अभिमान न छाए।
प्रभुता कभी न मद भर पाए।।
मति मेरी विवेक मत छोडे।
ज्ञान भक्ति से नाता जोडे।।
विद्या मान न अहं बढाए।
मन सच्चिदानंद को पाए।।
तन सिंदूर लगानेवाले।
मन सियाराम बसानेवाले।।
उर में वास करे रघुराई।
वाम भाग शोभित सिय माई।।
सिन्धु सहज ही पार किया है।
भक्तों का उद्धार किया है।।
पवनपुत्र ऐसी करूणाकर।
पार करूं मैं भी भवसागर।।
कपि तन में देवत्व मिला है।
देह सहित अमरत्व मिला है।।
रामायण सुन आनेवाले।
रामभजन मिल गानेवाले।।
प्रीति बढे सियाराम कथा से।
भीति न हो त्रयताप व्यथा से।।
राम भक्ति की तुम परिभाषा।
पूर्ण करो मेरी अभिलाषा।।
याद रहे नर देह मिला है।
हरि का दुर्लभ स्नेह मिला है।।
इस तन से प्रभु को पाना है।
पुन: न इस जग में आना है।।
विफल सुयोग न होने पाए।
बीत सुअवसर कहीं न जाए।।
धन्य करूं मैं इस जीवन को।
सदुपयोग करके हर क्षण को।।
मानव तन का लक्ष्य सफल हो।
हरि पद में अनुराग अचल हो।।
धर्म पंथ पर चरण अटल हो।
प्रतिपल मारूति का संबल हो।।
कालजयी सियराम सहायक।
स्नेह विवश वश में रघुनायक।।
सर्व सिद्धि सुत संपत्ति दायक।
सदा सर्वथा पूजन लायक।।
जो जन शरणागत हो जाते।
त्रिभुजी लाल ध्वजा फहराते।1
कलि के दोष न उन्हें दबाते।
सद्गुण आ उनको अपनाते।।
भ्रांत जनों के पंथ निदेशक।
रामभक्ति के तुम उपदेशक।।
निरालम्ब के परम सहारे।
रामचंद्र भी ऋणी तुम्हारे।।
त्राहि पाहि हूं शरण तुम्हारी।
शोक विषाद विपद भयहारी।।
क्षमा करो सब अपराधों को।
पूर्ण करो संचित साधो को।।
बारंबार नमन हे कपिवर।
दूर करो बाधाएं सत्वर।।
बरसाओं सौभाग्य वृष्टि को।
रखो सर्वदा दयादृष्टि को।।
पाठ पचासा का करे , जो प्राणी प्रतिबार।
श्रद्धानंद सफल उसे, करते पवनकुमार।।
पवनपुत्र प्रात: कहे, मध्य दिवस हनुमान।
महावीर सायं कहे , हो निश्चय कल्याण।।
करें कृपा जन जानकर , हरें हृदय की पीर।
बास करे मन में सदा, सिया सहित रघुवीर ।

तो दोस्तों ये था- Hanuman pachisa in Hindi जिसका पाठ करके आप हनुमान जी की कृपा पा सकते है .

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