2 best short story on true friendship with moral in Hindi

दोस्ती का जीवन मे बहुत ज़रूरी है क्यूंकि वो आप का दोस्त हि है जो आप की गलती होते हुए भी आप के साथ रहता है।इसलिए आज हम लेकर आये हैं- Short story on true friendship with moral in Hindi

Short story on true friendship with moral in Hindi

एक बार एक छोटे से गांव में राजू और रमेश नाम के दो दोस्त रहते थे। वे पक्के दोस्त  थे और एक दूसरे के साथ सब कुछ बांटते  थे। वे एक साथ हँसते, एक साथ रोते, और सुख-दुख में एक-दूसरे के साथ खड़े रहते। उनका बंधन अटूट था और हर कोई उनकी दोस्ती का कायल था।

एक दिन एक जादूगर गाँव मेंआया। उसने राजू और रमेश को एक साथ खेलते हुए देखा और उनके बीच गहरे संबंध को देखा। उनकी दोस्ती से प्रभावित होकर, उसने उनकी वफादारी को परखने का फैसला किया।

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जादूगर उनके पास आया और कहा, “मेरे पास एक जादुई ताबीज है जो किसी भी इच्छा को पूरा कर सकता है। हालांकि, इसका उपयोग केवल एक बार किया जा सकता है।
मैं इसे तुम दोनों में से किसी एक को दूंगा, और तुम दोनों को  यह तय करना होगा कि इसे कौन रखेगा?

राजू और रमेश दोनों ही इस बात को लेकर उत्साहित थे।काफी सोच-विचार के बाद राजू ने कहा, “रमेश, तुम ताबीज रख लो। इस की मदद से तुम अपने सपने पूरा कर सकते हो,मैं तुम्हें सफल होते देखना चाहता हूं।”

राजू की बात सुनकर रमेश ने जवाब दिया, “नहीं, राजू, तुम्हे इसे रखना चाहिए। तुम्हारा परिवार कठिन समय से गुजर रहा है, और इस ताबीज से तुम अपने परिवार की  मदद कर सकते हो।”

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इस बात पर दोनों काफी समय तक चर्चा करते रहे लेकिन ये नहीं तय कर पाए की ताबीज कौन रखेगा? अंत में, वे जादूगर के पास गए और बोले, “श्रीमान, हम यह तय नहीं कर पा रहे है कि ताबीज कौन रखेगा? ”

जादूगर मुस्कुराया और बोला में तुम दोनों की निस्वार्थ मित्रता से बहुत खुश हूँ। इसलिए में तुम दोनों को एक एक ताबीज देता हूँ।” यह सुनकर दोनों बहुत खुश हुए और उन्होंने जादूगर का धन्यवाद किया ।

उस दिन से राजू और रमेश अपने गांव में सच्ची मित्रता के प्रतीक बन गए।

शिक्षा-इस कहानी से सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती का मतलब कुछ पाना नहीं कुछ देना है

Short story on true friendship with moral in Hindi-2

एक छोटे से गाँव में रमन और विजय नामक दो दोस्त रहते थे। दोनों की इच्छा थी कि वे सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करें।

एक दिन, उनका सपना साकार हो गया और वे दोनों हि सेना में भर्ती हो गए।

जल्द ही युद्ध शुरू हो गया और उन्हें मौका मिला देश की सेवा करने का ।युद्ध के समय, उन्होंने बड़ी बहादुरी से दुश्मनों का सामना किया।

लेकिन लड़ाई के दौरान, विजय बुरी तरह घायल हो गया। जब रमन ने विजय के घायल होने की खबर सुनी, तो वह अपने आप को संभाल नहीं पाया और अपने घायल दोस्त को बचाने के लिए बिना सोचे समझे दौड़ पड़ा।

अचानक, उनके कमांडर ने रमन को रोका और कहा, “अब वहां जाने का कोई फायदा नहीं है।जब तक तुम वहां पहुंचोगे, विजय वीरगति को प्राप्त हो चुका होगा और वहां जाकर तुम भी अपनी जान को खतरे में डाल लोगे।”

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लेकिन रमन अपने कमांडर की बात से सहमत नहीं था।रमन ने अपने कमांडर की बात को नजरअंदाज कर दिया और अपने घायल दोस्त को बचाने के लिए निकल पड़ा।

जब रमन अपने शिविर में वापस पहुँचा तो उसके कंधों पर विजय था। लेकिन उसका दोस्त अब जीवित नहीं था।

इस पर कमांडर ने कहा, “मैंने तुमसे कहा था कि वहां जाने का कोई फायदा नहीं है। तुम अपने मित्र को सुरक्षित नहीं ला सके। तुम बेकार ही वहां गए।”

रमन ने उत्तर दिया, “नहीं साहब, मैं उसे लेने के लिए वहां व्यर्थ नहीं गया। जब मैं उसके पास पहुँचा, तो वह मुस्कुराया और मेरी ओर देखा। उसने कहा, ‘मेरे दोस्त, मुझे विश्वास था कि तुम मेरे लिए जरूर आओगे। ये मेरे लिए उसके आखिरी शब्द थे।

मैं उसे बचा नहीं सका, लेकिन उसका मुझ पर और हमारी दोस्ती पर जो विश्वास था, मैंने उस विश्वास को बचा लिया।”

कहानी से सीखें: दोस्ती की नींव विश्वास पर टिकी होती है, एक दूसरे के प्रति जितना ज्यादा विश्वास होता है, दोस्ती उतनी ही पक्की होती है। भले ही खुद टूट जाओ, लेकिन अपने दोस्त के विश्वास को कभी टूटने नहीं देना।

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