Utho Lal Ab Aankhen Kholo Kavita -अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध द्वारा रचित कविता है . अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध हिंदी भाषा के जाने माने कवि हैं.उन्हें हिंदी खड़ी बोली का पहला महाकवि माना जाता है. Utho Lal Ab Aankhen Kholo Kavita काफी प्रसिद्ध कविता है. आईये इसे पढ़ते है.
उठो लाल अब आँखें खोलो-( Utho Lal Ab Aankhen Kholo Kavita)
उठो लाल अब आँखें खोलो,
पानी लायी हूँ मुंह धो लो।
बीती रात कमल दल फूले,
उसके ऊपर भँवरे झूले।
चिड़िया चहक उठी पेड़ों पे,
बहने लगी हवा अति सुंदर।
नभ में प्यारी लाली छाई,
धरती ने प्यारी छवि पाई।
भोर हुई सूरज उग आया,
जल में पड़ी सुनहरी छाया।
नन्ही नन्ही किरणें आई,
फूल खिले कलियाँ मुस्काई।
इतना सुंदर समय मत खोओ,
मेरे प्यारे अब मत सोओ।
Utho Lal Ab Aankhen Kholo Kavita
utho lal ab aankhen kholo
paani layi hun munh dho lo
beeti raat kamal dal phule
uske upar bhanware jhule
chidiya chahak uthi pedo pe
bahne lagi hawa ati sundar
nabh mein pyari lali chhai
dharti ne pyari chhavi paai
bhor hui suraj ug aaya
jal me padi sunhari chhaya
nanhi nanhi kirne aai
phool khile kaliyan muskaai
itna sundar samay mat kholo
mere pyare ab mat soo